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उजवें
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डावें उजवें
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डावें उजवें करणें
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डावें उजवें कळणें
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उजवा
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ডানদিক
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आगदा
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दायाँ
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दाहिने
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دٔچُھن
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కుడి
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সোঁ
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ଡାହାଣ
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ਸੱਜਾ
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જમણું
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ಬಲಗಡೆಯ
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വലത്
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வலது
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दक्षिण
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right
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दाव्यानउजव्यान
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उजवी मंडोळी
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विकतें श्राद्ध घेवून् डावे उजवे, करन्
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बोडद
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उजवी घालणें
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उजवी
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अनन्वय अलंकारः - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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भुजंग
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गर्भरक्षणाचा प्रयोग
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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खडकीची लढाई - दक्षणच्या पेशव्यांशीं घाल...
पोवाडा म्हणजे इतिहासाचे एक साधन. पोवाडा नेहमी समकालीन साक्षीदाराप्रमाणे विश्वसनीय असतो.
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अपसव्य
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पंढरी माहात्म्य - अभंग ३९१ ते ४००
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्रीकृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
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खंड ५ - अध्याय ३७
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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श्रीरोहिदास चरित्र ३
श्रीसद्गुरू दासगणु महाराजांची कीर्तनाख्यानें हीं अत्यंत वैशिष्ट्यपूर्ण, रसाळ आणि विविध काव्यगुणांनी संपन्न असून श्राव्य काव्याचा तो एक उत्कृष्ट नमुना आहे.
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प्रथम परिच्छेद - व्रतपरिभाषा
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल, याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे.
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अनन्वय अलंकार - लक्षण ५
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अध्याय ८ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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संकेत कोश - संख्या ४
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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श्रीकेशवस्वामी - भाग ५
केशवस्वामींनी मनोभावेंकरून आपल्या कार्यातून हिंदू जनतेस त्यांच्या ठिकाणी आपला धर्म, आपला देश, आपली संस्कृती, आपली भाषा इत्यादिकांसंबंधी जागॄत केले.
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पांडवप्रताप - अध्याय ६१ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ३ - अध्याय ७
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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पांडवप्रताप - अध्याय ३४ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय ३३ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी साहित्याच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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ज्ञानेश्वरी अध्याय १०
संत ज्ञानेश्वर (जन्म : १२७५) हे १३ व्या शतकातील प्रसिद्ध मराठी संत आणि कवी आहेत.
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४
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तुकाराम गाथा - अभंग संग्रह १०१ ते २००
तुकाराम महाराजांचे अभंग म्हणजे रोजच्या जीवनातील विविध व्यवहारातील सुत्ररूपाने केलेले मार्गदर्शन आणि जीवनाचे महाभाष्य.
Tukaram was one of the greatest poet saints, whose Abhang says the greatest philosophy of routine life.
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